आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥ प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ बुरी आदतें बाद मे और बड़ी हो जाती हैं - प्रेरक कहानी श्रीगुरु चरन https://connercrfdv.wikinstructions.com/943496/5_easy_facts_about_shiv_chalisa_lyrics_in_telugu_described